उद्योग किसे कहते है? उद्योग के प्रकार (What is Industry? Types and Meaning)
किसी भी राष्ट्र के लिए उद्योग उसकी आर्थिक उन्नति और विकास का सूचक होती है जिस देश में उद्योग बेहतर होते हैं उस देश की आर्थिक स्थिति व विकास बहुत तेजी से बढ़ता है उद्योगों को हम द्वितीय क्रियाकलाप की श्रेणी में रखा जाता है तथा यह प्राथमिक क्रियाकलाप (कृषि) को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको उद्योग किसे कहते हैं तथा उद्योगों के प्रकार ,महत्व को समझाएंगे
उद्योग किसे कहते है?
किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण किया उत्पादन या बृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कार्य को उद्योग कहते है
उद्योग के प्रकार (Udyog Ke Prakar)
उद्योगों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है
1) प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर
कृषि आधारित उद्योग
इस प्रकार के उद्योग में कच्चा माल सीधा कृषि क्षेत्र से प्राप्त किया जाता है इसमें प्रमुख रूप से सूती वस्त्र उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग, पटसन ,रेशम उद्योग ,रबड़, चीनी ,चाय, कॉफी ,या वनस्पति तेल उद्योग प्रमुख है
खनिज आधारित उद्योग
इस प्रकार के उद्योग मुख्य रूप से खनिज पर निर्भर करते हैं जैसे कि लोहा तथा इस्पात ,सीमेंट, एलुमिनियम,, मशीन औजार तथा पेट्रो रसायन उद्योग
रसायन आधारित उद्योग
इस प्रकार के उद्योगों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है जैसे पेट्रो रसायन उद्योग में खनिज तेल का उपयोग होता है नमक गंधक एवं पोटाश उद्योग में भी प्राकृतिक खनिजों को काम में लेते हैं कुछ रासायनिक उद्योग लकड़ी एवं कोयले से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर करते हैं
वनों पर आधारित उद्योग
वनों से प्राप्त कई मुख्य एवं गुण उपज कच्चे माल के रूप में उद्योगों में प्रयुक्त की जाती है फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी कागज उद्योग के लिए लकड़ी बांस एवं घास तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से प्राप्त होती है
पशु आधारित उद्योग
चमड़ा एवं उन पशुओं से प्राप्त प्रमुख कच्चा माल है चमड़ा उद्योग के लिए चमड़ा एवं ऊनी वस्त्र उद्योग के लिए उन पशुओं से ही प्राप्त की जाती है हाथी दांतों उद्योग के लिए दांत भी हाथी से मिलते हैं
2) प्रमुख भूमिका के आधार पर
आधारभूत उद्योग
जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर करते हैं उन उद्योगों को आधारभूत उद्योग कहते हैं जैसे लोहा इस्पात, तांबा प्रगलन व एलुमिनियम प्रगलन उद्योग
उपभोक्ता उद्योग
जो उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं जैसे चीनी, दंत मंजन, कागज, पंखे ,सिलाई, मशीन, आदि
3) स्वामित्व के आधार पर
निजी क्षेत्र के उद्योग
इस प्रकार के उद्योगों का स्वामित्व किसी एक व्यक्ति या उसके द्वारा संचालित होता है या लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित होता है के उदाहरण है टिस्को बजाज ऑटो लिमिटेड ,डाबर उद्योग।
संयुक्त उद्योग
वैसे उद्योग जो राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों से चलाए जाते हैं जैसे ऑयल इंडिया लिमिटेड
सार्वजनिक क्षेत्र
सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित उद्योग इसके अंतर्गत आते हैं जैसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड तथा स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड
सहकारी उद्योग
जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों श्रमिकों या दोनों के हाथों में होता है संसाधन का पूंजी संयुक्त होती है तथा लाभ हानि का विभाजन भी अनुपातिक होता है जैसे महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग
4) पूंजी निवेश के आधार पर
लघु उद्योग
इसके उत्पादन की तकनीक एवं निर्माण स्थल दोनों कुटीर उद्योग से भिन्न होते हैं इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है एवं अर्ध कुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों का प्रयोग किया जाता है रोजगार के अवसर इसी उद्योग में अधिक होते हैं जिससे स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ती है भारत चीन इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देशों ने अपनी जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के उद्योगों को प्रारंभ किया है इस प्रकार के उद्योग में निवेश पूंजी की मात्रा बहुत कम होती है तथा कम उत्पादन होता है और एक छोटे से क्षेत्रफल में यह उद्योग लगाए जाते हैं कम तकनीक व लागत क्षमता भी कम होती है
बड़े पैमाने के उद्योग
बड़े पैमाने के उद्योग के लिए विशाल बाजार विभिन्न प्रकार का कच्चा माल शक्ति के साधन कुशल श्रमिक विकसित प्रौद्योगिकी अधिक उत्पादन एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है पिछले 200 वर्षों में इसका विकास हुआ है पहले यह उद्योग ग्रेट ब्रिटेन संयुक्त राज्य अमेरिका एवं पूर्वी भाग एवं यूरोप में लगाए गए थे परंतु वर्तमान में इसका विस्तार विश्व के सभी भागों में हो गया है इस प्रकार के उद्योग पूंजी प्रधान होते दिल में बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और इसमें बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगाई जाती है
5 )कच्चे माल की मात्रा व भार के आधार पर
भारी उद्योग
इस प्रकार के उद्योगों में बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए अक्सर उपकरण और मशीनरी में महत्वपूर्ण पूंजी निवेश की जाती है यह एक विशाल और बुध बाजार को पूरा करता है जिसमें विभिन्न विनिर्माण क्षेत्र शामिल हैं इस प्रकार के उद्योग के उदाहरण है लौह इस्पात उद्योग
हल्के उद्योग
इस प्रकार के उपयोग में कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है तथा हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं इस प्रकार के उद्योगों में अपेक्षाकृत कम मात्रा में कच्चे माल कम बिजली और छोटे क्षेत्र की आवश्यकता होती है इनका परिवहन करना बहुत आसान होता है उदाहरण विद्युतीय व्यक्तिगत उत्पादन भोजन पेय पदार्थ
उद्योगों का महत्व
उद्योग को सामान्य रूप से आर्थिक विकास की रीढ़ समझा जाता है
1 उद्योग कृषि के आधुनिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा द्वितीयक प्रत्यक्ष सेवाओं में रोजगार उपलब्ध करा कर कृषि पर निर्भरता कम करते हैं
2 देश में आर्थिक विकास बेरोजगारी तथा गरीबी उन्मूलन की एक आवश्यक शर्त है भारत में सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र में लगे उद्योग इसी विचार पर आधारित है
3 निर्मित वस्तुओं का निर्यात वाणिज्य व्यापार को बढ़ाता है जिससे अपेक्षाकृत विदेशी मुद्रा में प्राप्ति होती है जो केवल उद्योगों से संभव है
4 विदेश अधिक विकासशील समझे जाते हैं जो कच्चे माल को विभिन्न तथा अधिक मूल्यवान तैयार माल में विनिर्मित करते हैं भारत का विकास उद्योग में निहित है
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